मंगलवार, 11 जनवरी 2011
सात लोगों को सजा -ए- भर्त्सना
नवगछिया, जागरण संवाद। नवगछिया की प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी पुनीत मालवीय की अदालत ने मंगलवार को खरीक (नवगछिया ) थाना कांड संख्या १४८/९३ के मामले में सात लोगों को भारतीय दंड विधान की धारा ४२७ के तहत दोषी पाया । जिसके अंतर्गत सूचक नाथो साह पिता द्वारिका साह के घर में घुस कर सामान ख्सती ग्रस्त करना, तोड़ फोड़ कर बर्बाद करने के आरोप लगाया था । इस मामले में महेश साह, नरेश साह, घोलाटी साह, नवीन साह, कारे साह, भारत साह और भोला साह सभी तुलसीपुर की प्रोवेशन ऑफ़ ओफेन्दर की धारा ३ के तहत सम्यक भर्त्सना की गयी। साथ ही भविष्य में ऐसा नहीं करने की चेतावनी भी दी गयी। जहाँ सहायक अभियोजन पदाधिकारी राम चन्द्र ठाकुर ने अभियोजन का संचालन किया।
रिहाई के आदेश से जगा न्यायालय पर विश्वास
नवगछिया, जागरण संवाद। देश की सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मड़वा गाँव के सज्जन शर्मा के रिहाई के आदेश से देश की न्यायिक प्रक्रिया पर लोगों को काफी विश्वास जगा है। खास कर सज्जन शर्मा के परिजन जों मड़वा , नवगछिया, मकंदपुर, बिहपुर जगहों में हैं उन्हों ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रति काफी आभार व्यक्त किया है। साथ ही नीचे की अदालत पर अफ़सोस जाहिर किया है।
विशेष खबर
सुप्रीम कोर्ट से रिहाई का आदेश पहुंचा नवगछिया
राजेश कानोडिया, नवगछिया /जागरण संवाद। ह्त्या के एक मामले में नवगछिया जेल में बंद सज्जन शर्मा की रिहाई का आदेश मंगलवार को नवगछिया कोर्ट पहुँच गया। इसके बावजूद सज्जन की रिहाई मंगलवार को नवगछिया जेल से नहीं हो सकी । जेल सूत्रों के अनुसार इस कैदी की रिहाई बुधवार को संभव है । इस कैदी को २ अगस्त २००१ को एक ह्त्या के मामले में नवगछिया की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी थी। जिसे पाटना उच्च न्यायालय ने भी बरकरार राखी थी । इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने की गयी अपील पर ७ जनुअरी २०११ को बरी कर दिया। साथ ही मेमो संख्या २९/२०११ के द्वारा इसके रिहाई का आदेश भी जारी किया था ।
राजेश कानोडिया, नवगछिया /जागरण संवाद। ह्त्या के एक मामले में नवगछिया जेल में बंद सज्जन शर्मा की रिहाई का आदेश मंगलवार को नवगछिया कोर्ट पहुँच गया। इसके बावजूद सज्जन की रिहाई मंगलवार को नवगछिया जेल से नहीं हो सकी । जेल सूत्रों के अनुसार इस कैदी की रिहाई बुधवार को संभव है । इस कैदी को २ अगस्त २००१ को एक ह्त्या के मामले में नवगछिया की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी थी। जिसे पाटना उच्च न्यायालय ने भी बरकरार राखी थी । इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने की गयी अपील पर ७ जनुअरी २०११ को बरी कर दिया। साथ ही मेमो संख्या २९/२०११ के द्वारा इसके रिहाई का आदेश भी जारी किया था ।
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